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Purpose of Life - जिंदगी का मकसद - पर्पस ऑफ़ लाइफ - ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਦਾ ਮਕਸਦ

Purpose of Life - जिंदगी का मकसद - पर्पस ऑफ़ लाइफ -  ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਦਾ ਮਕਸਦ


Stay Home and Stay Safe

 ये एक ऐसा सवाल है जो लोग अक्सर पूछते हैं और बहुत से लोग इस सवाल के जवाब की तलाश में इधर उधर   भटकते रहते हैं। 

पर अभी तक कोई ऐसा नहीं  सामने आया जो बोले की हां मुझे इस सवाल का जवाब मिल गया है। 

यह सवाल मेरे हिसाब से पश्चिमी देशों से आया है , विकसित देशों में रहने वाले लोग इस सवाल की तलाश में बहुत बड़ी संख्या में हिन्दुस्तान आते हैं। अभी तक मेरी समझ से किसी को भी ऐसा जवाब नहीं मिला है जिसको वह पूरे विश्व के सामने रख सके की यह मेरी खोज से मुझे जवाब मिला है और यह सही जवाब है। 

इसका सही जवाब मिलना वैसे है भी बहुत मुश्किल , क्यों की जो इस सवाल को लेकर निकला है उसकी अपने समझ के हिसाब से ही उसको चीज़ें नज़र आएँगी। उसके अपने दिमाग की जो लिमिटेशंस है वह तो हमेशा उसके साथ रहेंगी। चाहे वह बर्तन साफ़ कर रहा हो या किसी ऐसे सवाल के जवाब को ढूंढ़ने निकला हो जिसक एक जवाब होना बहुत मुश्किल है। 

इस से पहले हम यह समझने की कोशिश करें की पर्पस ऑफ़ लाइफ का सवाल कहा से आता है या कौन लोग है जो इसको पूछते है। 

अगर हम इंडिया की बात करें तो यहाँ 80 करोड़ लोग ऐसे हैं जिनको रोज़ सुबह होते ही रोटी , कपडा और मकान की चिंता घेर लेती है , तो इस 80 करोड़ में से तो बहुत मुश्किल है की कोई यह सवाल पूछेगा। अगर आप इन लोगों का सर्वे भी करेंगे या इन से घर घर पूछने भी जायेंगे तो भी शायद यह आप से इस टॉपिक पर बात नहीं करेंगे।

और  बाकि बची जनता भी कुछ ज़्यादा अच्छे हालत में नहीं है। मिडिल क्लास की बहुत बड़ी संख्या है जो हैंड टू माउथ है। उन के जेहन में शायद ही यह सवाल आये।

अब सवाल यह खड़ा होता है की फिर इस सवाल को पूछता कौन है ?

जैसे मैंने पहले भी बताया यह सवाल विकसित देशों से आया लगता है।  या फिर इस सवाल को वह लोग पूछ सकते है जिन को रोटी, कपडा और मकान की कोई चिंता नहीं है।

क्यों मैं बार-बार यह कह रहा हूँ की यह सवाल पश्चिमी देशों से आया होगा क्यों की वहाँ पर साब सुख सुविधा के साधन है , वहाँ किसी को इस बात की चिंता नहीं की उसको रात को रोटी मिलेगी या नहीं, वहाँ पर सरकार की तरफ से सोशल सिक्योरिटी सिस्टम है। मेडिकल की सुविधा वहाँ पर सब के लिए उपलब्ध है।

जब पैसा और ऐशो आराम सब भोग लेगा इंसान तो फिर उसके मन में यह ख्याल आता होगा की क्या बस यही था ? यह सब तो कर लिया , जो चीज़ पैसा खरीद सकती थी वो सब तो ले लिया और भोग लिया। 

इस से आगे भी कुछ होगा। जिंगदी सिर्फ इतनी नहीं होगी की पैसे से सब चीज़ खरीद ली जाए और हो गया बस। बढ़िया से बढ़िया खाना खा लिया , अच्छे  कपडे पहन लिए, बड़ी गाडी ले ली , हर नशा कर के देख लिया , खाना , पीना, घूमना साब हो गया।

अब इसके आगे क्या ?

इसके आगे कुछ और मकसद होगा जो हमें नहीं पता , और किसी ने बताया भी नहीं। कितने विद्वान लोगों को मिला पर किसी ने नहीं बताया , ज़िन्दगी का मकसद क्या है।

चलो इसकी खोज करते हैं , फिर शुरू होती है तलाशा और Google किया जाता है,

"What is the Purpose of Life ?"


 और फिर उस Google Search से जो नतीजे मिलते हैं वह और मुश्किल में दाल देता हैं। खुद ही देख लीजिये : -



Google Search Result Page 1 

Google Search Result Page 2

Google Search Result Page 3

Google Search Result Page 4

सब से पहले 3 वीडियोस आयी सर्च रिजल्ट में -
पहली - सध्गुरु जग्गी वासुदेव की
दूसरी - किसी YouTube चैनल की वीडियो
तीसरी - किसी और YouTube चैनल की वीडियो 


अब आप खुद हिसाब लगा ले "Google" बाबा के पास भी इस बाबा की वीडियो के इलावा कुछ नहीं है।

तो है ना यह सवाल बहुत जटिल और मुश्किल , फिर यह सब करने के बाद आप अपने सोशल सर्किल में बात  करेंगे अपने किस ख़ास दोस्त या मित्र से की भाई "ज़िन्दगी का मकसद ढूंढ़ना है , कहाँ जाऊँ। तो जो थोड़ा बहुत ज्ञानेश्वर होगा वह बोलेगा यह जवाब तो इंडिया में मिल सकता है।

इंडिया का कितना रिच कल्चर है, इतने वेद और पुराण लिखे गए हैं, बहुत से पुराणिक ग्रन्थ वहां पर पाए जाते हैं। अगर तुम वहां जा सको तो शायद वहां तुम्हे इस सवाल का जवाब मिल जाए। लाखों मंदिर है , हज़ारों बाबा है , धार्मिक गुरु हैं, गंगा मैया है , हिमालय पर्वत है , हरिद्वार है , बनारस है , काशी है। वहाँ पर तुम्हारे सवालों के जवाब देने वाला कोई ना कोई ज़रूर मिल जायेगा। 

और फिर हम देखते है यहाँ धार्मिक स्थानों पर अंग्रेजो की भीड़ लगी रहती है। बहुत से लोग हिंदुस्तान आ कर शिक्षा और दीक्षा लेते हैं और पेमेंट्स भी डॉलर्स में देते है और उनको ख़ास ट्रीटमेंट भी मिलता है। 

वह सब कुछ मिलता है जिसको छोड़ कर वह इस सत्य की तलाश में निकलते हैं की ज़िन्दगी का मकसद क्या है। 

अगर मंदिर , गुरुद्वारा , चर्च , मस्जिद में इस बात का जवाब नहीं मिला, गंगा के घाट पर नहीं मिला , काशी मैं नहीं मिला, काबा में नहीं मिला, मेक्का मदीना में नहीं मिला ,  तो ऐसा क्या है जो किसी को दिखाई नहीं पढता। ऐसा क्या रहस्य है जो कोई ढून्ढ नहीं पा रहा है। 

चलिए अभी जो पूरी दुनिया में हो रहा है उस को किसी और नज़रिये से देखते हैं. अभी तकरीबन सभी देश या तो बंद है या लोग घर पर बैठे हैं कोरोना वायरस (COVID-19) से बचने के लिए। 

इंडिया भी पूरी तरह बंद है लॉक डाउन है 21 दिन के लिए , किस लिए?

अगर हम सब बहार निकलेंगें तो क्या हो जायेगा , वायरस  हो जायेगा , वायरस का संक्रमण  होगा ?

जान जा सकती है , तो सभी देश की सरकारें क्या करना चाहती हैं , उनका सब का एक ही मकसद है। 

आप को ज़िंदा रखना, अगर वायरस फैलेगा तो उस से बहुत सारे लोगों की मौत हो सकती है। 

जो सवाल इतनी  देर से कोई सुलझा नहीं पा रहा था वह सवाल का जवाब एक ऐसी चीज़ ने दिया है जो अदृश्य है , दिखाई नहीं देती , महसूस नहीं होती, जिसको छुआ नहीं जा सकता , उसकी कोई खुशबू या बदबू नहीं है , वह कहा से आयी है नहीं पता, कब से है नहीं पता, कब तक रहेगी नहीं पता , अगर वह हो जाये तो क्या होगा नहीं पता। 

जिनको अभी भी शंका है या उनको लग रहा है की गोल-गोल बातें ना घुमा कर सीधा-सीधा बता दो कहना क्या चाहते हो , तो लो सुन लो। 

ज़िन्दगी का एक सब से बड़ा मकसद (Purpose of Life ) इस - Survival (ज़िंदा रहना ) तुम सुबह से शाम तक एक ही काम करते हो , मेहनत  करते हो, किस लिए ? बस दाल रोटी के लिए या खाने के लिए। 

अभी इस लॉक डाउन के चलते कौन सा ऐसा काम है जो सभी दुनिया की सरकार करने में लगी हुई है। और वो क्या है , की खाने पीने की चीज़ो की कमी ना हो , एसेंशियल सर्विसेज चलती रहे। घर क्यों चाहिए , हमें सर्दी और  गर्मी से बचा के रखने के लिए , ता की  हम सही सलामत रहे , जिन्दा रह सके। ऐसी बहुत सी उदहारण दे सकता हूँ  जिस से इस को साबित किया जा सके। 

लेकिन अब इस को यही पर छोड़ते हैं , और  आगे बढ़ते है। 

एक और चीज़ जो इस कोरोना वायरस ने सिखायी है वह है - अपनी प्रजाति को आगे बढ़ाना। 

इसको सरल शब्दों में समझाऊँ तो - (Reproduction ) - दूसरा मकसद इस जीवन का है की हम एक बेहतर स्पीशीज धरती पर छोड़ कर जाएँ। उसके लिए जो जरुरी काम है वह यह शरीर आप से खुद करवा लेती है। 

आपने कभी सोचा है कि हमारी दादी का नाक और दादा का चेहरा या और नयन और नक्श कैसे हमारे पूर्वजों से मिलते है। 

तुम्हारी माँ किसी और घर से आयी तुम्हारे पापा किसी और माँ बाप से पैदा हुए , फिर भी तुम्हरे पूर्वजों के गुण , शकल, और लक्षण तुम्हारे अंदर मिल जाते है। मेडिकल साइंस में बात करते है फॅमिली हिस्ट्री बहुत इम्पोर्टेन्ट है , क्यों है फॅमिली हिस्ट्री इम्पोर्टेन्ट। इसके बारे में आप सोचिये। 

यह सेल्स और डीएनए की अपनी मेमोरी होती है , और यह याद रखते है , लाखो और हज़ारों साल बाद भी आपके परिवार मैं आपके जैसे लोग पैदा होते रहेंगे। और कभी ऐसा हुआ की आपको कोई बहुत अच्छा लगा और आपके मन में विचार आते है की काश आप उसके साथ होते। 

यह डीएनए और सेल्स हेअल्थी और स्ट्रांग सेल्स की तरफ अपने आप आकर्षित हो जाते है। 

तो मेरे हिसाब से और कोरोना वायरस के दिए हुए सबक के हिसाब से 2 मकसद निकल कर आते है। 


  • ज़िंदा रहना (Survival )
  • एक बेहतर प्रजाति पैदा करना (Reproduction )

इन विचारों के साथ आज का ब्लॉग यही ख़तम करते हैं। 

यहाँ तक पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। अगर आपको मेरा ब्लॉग अच्छा लगे तोह और भी लोगों से शेयर करें। 

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Comments

  1. Hard facts but true. Thanks for sharing .....

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    1. Thanks a lot. Please share with friends and family. Also hit follow button to never miss New Blogs.

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